प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता की परिधि से बाहर रखा गया है। समिति ने तलाक तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून की संस्तुति की है। लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण न कराने पर छह माह की सजा और 25 हजार के जुर्माने की संस्तुति भी ड्राफ्ट में है।
समान नागरिक संहिता का बहुप्रतीक्षित ड्राफ्ट शुक्रवार को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) के नेतृत्व में विशेषज्ञ समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया। समिति ने तलाक, तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून की संस्तुति की है। सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया है।
बहुपत्नी प्रथा समाप्त कर एक पति, पत्नी का नियम सभी पर लागू करने की समिति ने संस्तुति की है। प्रस्तावित ड्राफ्ट में हलाला पर रोक लगाई गई है। कानून लागू होने के बाद हलाला हुआ तो तीन साल की सजा व एक लाख के जुर्माने के प्रविधान की संस्तुति की गई है। वहीं, लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण न कराने पर छह माह की सजा और 25 हजार के जुर्माने की संस्तुति भी ड्राफ्ट में है।
अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता की परिधि से बाहर
प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता की परिधि से बाहर रखा गया है। माना जा रहा है कि इनकी परंपराओं व संस्कृति को बरकरार रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। समिति से ड्राफ्ट मिलने के बाद इसे शनिवार को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। सरकार ने समान नागरिक संहिता विधेयक पारित करने के लिए पांच फरवरी को विधानसभा का सत्र भी आहूत किया है।
ड्राफ्ट चार खंडों में, इसमें हैं 740 पृष्ठ
मुख्यमंत्री आवास में शुक्रवार को मुख्यमंत्री धामी को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट सौंपे जाने के अवसर पर समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) के अलावा चार सदस्य जस्टिस प्रमोद कोहली (सेनि), पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल व सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ और समिति के सचिव रंजन मिश्रा उपस्थित रहे। ड्राफ्ट चार खंडों में है और इसमें 740 पृष्ठ हैं।
सूत्रों के अनुसार समिति की प्रमुख संस्तुतियों में संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार सभी धर्मों में लागू रहेगा। अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। समिति ने लव जिहाद, विवाह समेत महिलाओं और उत्तराधिकार के अधिकारों के लिए सभी धर्मों के लिए समान अधिकार की मुख्य रूप से संस्तुति की है।
ड्राफ्ट तैयार करने के लिए हुआ विशेषज्ञ समिति का गठन
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना प्रदेश की भाजपा सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है। सरकार ने इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस के बाद दो उप समिति बनाई गई। एक समिति ने संहिता का प्रारूप तैयार करने का कार्य किया तो दूसरी उप समिति ने बैठकों के माध्यम से प्रदेशवासियों से इसके लिए सुझाव लिए। 20 माह में समिति अब इस कार्य को पूरा कर चुकी है।
संवाद की शुरुआत समिति ने देश के प्रथम गांव चमोली जिले के जनजातीय माणा गांव से की। इस अवधि में समिति ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों व समुदायों के साथ 43 जनसंवाद समेत 72 बैठकों व आनलाइन माध्यम से सुझाव लिए। समिति को 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं। समिति ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट हिंदी व अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में तैयार किया है।
समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट मिलने के बाद अब इसे कानूनी रूप देने की प्रक्रिया पर भी सरकार आगे कदम बढ़ा रही है। शनिवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लगेगी। पांच फरवरी से आहूत विधानसभा सत्र में छह फरवरी को समान नागरिक संहिता से संंबंधित विधेयक को सदन के पटल पर रखा जाएगा।
चार बार बढ़ाया गया समिति का कार्यकाल
समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति का कार्यकाल छह माह रखा गया। इसके कार्य की अधिकता को देखते हुए सरकार ने चार बार इसका कार्यकाल बढ़ाया। पहला कार्यकाल 28 नवंबर 2022 में छह माह के लिए बढ़ाया गया।
इसके बाद नौ मई 2023 को यह कार्यकाल चार माह के लिए बढ़ाया गया। इसके बाद 22 सितंबर को यह कार्यकाल फिर से चार माह के लिए बढ़ाया गया। चौथा कार्यकाल 25 जनवरी को 15 दिन के लिए बढ़ाया गया। अब समिति का कार्यकाल 11 फरवरी को समाप्त हो रहा है।