उत्तराखंड में अल्पसंख्यकों की योजनाओं में बड़ी गड़बड़ी के संकेत मिल रहे हैं. हैरत की बात ये है कि खुद भारत सरकार ने उत्तराखंड के तमाम संस्थाओं के नाम भेजकर मामले में जांच करने के निर्देश जारी किए हैं. भारत सरकार की इस चिट्ठी से हड़कंप मचा हुआ है. शासन ने भी फौरन मामले में जिलाधिकारी को जांच करने के निर्देश दे दिए हैं.
उत्तराखंड में छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए डकारने का प्रकरण पहले भी खूब चर्चाओं में रहा है, लेकिन इस बार मामला अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति से जुड़ा है. दरअसल, उत्तराखंड के करीब 91 संस्थान अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति के मामले में संदिग्ध पाए गए हैं. यही कारण है कि भारत सरकार ने इन संस्थाओं की बाकायदा सूची भेजकर उत्तराखंड सरकार को मामले में जांच करने के निर्देश जारी किए हैं.
हालांकि, अल्पसंख्यकों के लिए चल रही छात्रवृत्ति योजनाओं में संभावित गड़बड़ी का यह मामला केवल उत्तराखंड से जुड़ा नहीं है, बल्कि दूसरे कई राज्यों को भी ऐसे ही संदिग्ध संस्थाओं की सूची भेजकर भारत सरकार ने इनकी जांच करने के निर्देश दिए हैं.
उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र पोषित छात्रवृत्ति योजनाएं चल रही हैं. यानी ऐसी योजनाएं जिनका बजट केंद्र की तरफ से दिया जाता है. जाहिर है कि केंद्र से बजट मिलने के कारण सीधे तौर पर केंद्र सरकार ऐसी योजनाओं की निगरानी करती है. गड़बड़ी होने की संभावना के साथ ही राज्यों को प्रकरण में कार्रवाई के निर्देश भी जारी करती है.
भारत सरकार की तरफ से पत्र मिलने के फौरन बाद उत्तराखंड में सचिव अल्पसंख्यक कल्याण धीराज सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखते हुए मामले की जांच के निर्देश दे दिए हैं. इसमें स्पष्ट किया गया है कि जिलाधिकारी को एसडीम की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाकर इसकी जांच करवानी है. इसमें खंड शिक्षा अधिकारी, सहायक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भी समिति में शामिल रहेंगे. इस समिति को एक महीने के भीतर अपनी जांच शासन को भेजनी होगी.
भारत सरकार ने अपने पत्र में यह स्पष्ट किया है कि इस मामले की जांच करवा कर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई जाए. यही नहीं, यदि अधिकारी भी इसमें शामिल पाए जाते हैं तो ऐसे अधिकारियों को फौरन निलंबित किया जाए.
इस मामले में मुख्य तौर पर देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर के संस्थान संदिग्ध सूची में सबसे ज्यादा हैं. इसके अलावा उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, चंपावत के बड़े संस्थान भी इसमें शामिल हैं. खास बात यह है कि अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति में गड़बड़ी का यह मामला 2021-22 और 2022-23 का है, जिसकी जांच अब गठित की गई कमेटी करेगी.