हर्षिल घाटी में स्कूल खुलने के बाद भी धराली के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं। विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि वहां पर करीब 17 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। उसमें से दो स्थानीय और बाकी 15 बच्चे नेपाली मूल के हैं। उनके अभिभावकों के जहन में अभी भी धराली आपदा का भय बना हुआ है। शिक्षक रूटीन से स्कूल को खोलकर फिर बंद कर देते हैं।
धराली आपदा को करीब 17 दिन का समय हो गया है लेकिन वहां पर अभी भी लोगों के दिल-दिमाग में पांच अगस्त की आपदा की भयावह तस्वीरें घर कर गई है। इसलिए अभिभावक बच्चों को स्कूली खुलने के तीन दिन बाद भी नहीं भेज रहे हैं। शिक्षक सुशील नौटियाल का कहना है कि विद्यालय में स्थानीय बच्चे मात्र दो ही हैं वहीं अन्य सभी बच्चे नेपाली मूल के हैं।
धराली आपदा में नेपाली मूल के सबसे अधिक लोग दबे
इनमें अधिकांश छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता के साथ सेब के बगीचों में छानियां बनाकर रहते हैं और उन्हें विद्यालय पहुंचने के लिए करीब एक-दो किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इस संबंध में अभिभावकों से उनके बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए कहा तो उनका कहना था कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक वे अपने बच्चों को नहीं भेज सकते हैं। धराली आपदा में नेपाली मूल के सबसे अधिक लोग दबे हैं। इसलिए नेपाली मूल के अभिभावकों और बच्चों के मन में अधिक भय का माहौल बना है।
वहीं धराली आपदा में स्कूल में तैनात अन्य शिक्षिका और भोजनमाता के आवास आदि को नुकसान हुआ है। इसलिए विद्यालय के शिक्षक रूटीन में विद्यालय को खोलकर उसके बाद चले जा रहे हैं। वहीं धराली आपदा के पहले दिन वहां पहुंची राहत-बचाव की टीमों ने स्कूल को ही कैंप के रूप में प्रयोग किया था।