इस बार नाममात्र को हुई बर्फबारी, वीरान हैं औली की ढलानें; शीतकालीन खेलों पर संशय के बादल

विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थल औली में इस वर्ष भी शीतकालीन खेलों पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। कारण है शीतकाल में अब तक नाममात्र की बर्फबारी हुई, जिससे औली की ढलानें वीरान पड़ी हैं और दूर-दूर तक बर्फ नजर नहीं आ रही। मौसम विभाग इसकी वजह कमजोर पश्चिमी विक्षोभ को बता रहा है।

मौसम में आए इस परिवर्तन से पर्यटक भी निराश हैं। उन्हें बर्फ का दीदार करने के लिए औली से चार किमी दूर गौरसों की दौड़ लगानी पड़ रही है। आगामी दिनों में अच्छी बर्फबारी नहीं हुई तो यहां स्कीइंग प्रतियोगिताओं का आयोजन संभव नहीं हो पाएगा।

उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्रतल से 9,500 फीट से लेकर 10,000 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित औली अपनी सुरम्य वादियों के साथ ही बर्फीली ढलानों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। विशेषकर 1350 मीटर लंबा नंदा देवी स्कीइंग स्लोप स्कीयर्स की पहली पसंद है।

यहां होते हैं  स्कीइंग के अधिकांश खेल

इस दक्षिण मुखी स्लोप को फेडरेशन आफ इंटरनेशनल स्कीइंग (फिस) से मान्यता प्राप्त है। स्कीइंग के अधिकांश खेल यहीं होते हैं। बीते वर्षों में जनवरी में इस स्लोप पर दो से ढाई फीट बर्फ जम जाती थी। इस बार मौसम चक्र में आए परिवर्तन के कारण नाममात्र को ही बर्फबारी हुई। ऐसे में यह स्लोप भी सूना पड़ा है, जबकि शीतकालीन खेलों के लिए डेढ़ से दो फीट बर्फ का होना जरूरी है।

पिछले वर्ष दिसंबर में भारतीय ओलिंपिक संघ ने सरकार को पत्र लिखकर औली में अंतराष्ट्रीय फिश रेस और राष्ट्रीय अल्पाइन गेम्स कराने के लिए कहा था। संघ की तरफ से इस आयोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग कोच अजय भट्ट को प्रबंधक भी नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद से आयोजन की तिथि घोषित करने के लिए अच्छी बर्फबारी का इंतजार चल रहा है।

पिछले वर्ष नहीं हो पाए थे शीतकालीन खेल

पिछले सीजन में मौसम की बेरुखी के कारण औली में प्रस्तावित राष्ट्रीय शीतकालीन खेल रद करने पड़े थे। तब फरवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में औली में राष्ट्रीय सीनियर अल्पाइन स्कीइंग एंड स्नोबोर्ड चैंपियनशिप का आयोजन होना था, लेकिन यहां काफी कम बर्फ पड़ी। फरवरी आखिर तक इंतजार करने के बाद जब बर्फ पड़ने की संभावनाएं खत्म हो गईं तो इन खेलों को रद कर दिया गया। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय फिश रेस भी रद करनी पड़ी थी।

मौसम को लेकर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। औली में अधिकांश बार शीतकालीन खेल फरवरी में हुए हैं। कई बार मार्च में भी प्रतियोगिताएं कराई गईं। स्कीइंग स्लोप बर्फ से लबालब होने के बाद आयोजनों की तिथि घोषित की जाएगी। -अजय भट्ट, अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग कोच

उत्तराखंड में वर्षा-बर्फबारी मुख्यत: पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर करती है। इस बार शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभ ने एक-दो बार ही उत्तराखंड में दस्तक दी। वह भी कमजोर रहा, जिस कारण वर्षा-बर्फबारी नहीं हो सकी। अगले कुछ दिनों में पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा-बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। -बिक्रम सिंह, निदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र

 

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